دِدورِ مُجمعه جوشپره چو بنشَستُم | بِرِی تِتاوُل بارِش کِمَر مو وَر بَستُم | |
همی که چولی اول دِ مُجمَعَه رِختَن | مو خِی وحید و حمید و حمیدَه وَرجَستُم | |
عجب خوراکِ لذیذِی تریت شِروایِش | که از کشیدِنِ بویِش بدون مِی مَستُم | |
بخوردِیُم دو سه دوری مثل طَبل شِدُم | به زورِ هس هِس و هن هن وَلِشتیُم دَستُم | |
بِدو مو عاشقِ اُگوشتو قُرمَه و کِره یُم | دِ مونِ کُلِ غِذاها مریدِ جوشپِرَه یُم | |
دِ شو سَردِ زِمستو اَلو عجب چیزِی | لحاف و منقَل و کرسی دِ شو عجب چیزِی | |
دِ اووِ گَرم خِزینَه سِنو عجب چیزِی | کباب و اشکنه و سوپ جو عجب چیزِی | |
بِرِی قِمرمَه مِگَن گوشتِ گُو عجب چیزِی | دِمونِ آش قروتِم کِنُو عَجَب چیزِی | |
بِدو مو عاشقِ اُگوشتو قُرمَه و کِره یُم | دِ مونِ کُلِ غِذاها مریدِ جوشپِرَه یُم | |
دِ روز سیزدَه که مِردُم دِتَه بیوویَن | سِوارِ قَطُرُ و اَسبُ سوارِ یابویَن | |
سه چارته هی سه مِجول مِندِزَن وُ وَرخویَن | نِماز شوم که مِشَه نادِمُ پِشِیمویَن | |
پَری و نازی و مَهوَش چِطو دِ کِلچویَن | بِرِی نهار دِ فکر پِلُو فِسِنجویَن | |
بِدو مو عاشقِ اُگوشتو قُرمَه و کِرَه یُم | دِ مونِ کُلِ غِذاها مریدِ جوشپِرَه یُم | |
قِسَم به دُبِّه خَلی قِسَم به کله طاس | قِسَم به حَبِ نِباتُ قِسَم به کََسه ماس | |
قِسَم به رَختِ جِقِند و قِسَم به جُلّ و پِلاس | قِسَم به پارتی و رِشوَه قِسَم به تیرِ خِراس | |
قِسَم به طوقِ طِلا و به زیوَر و الماس | قِسَم به پارچه ابریشِمی وُ هَم کِرباس | |
قِسَم به دَنگ و یه غلبیر و توگی و دِستاس | قِسَم به جفت سبیل کلفتِ کِل بِبّاس | |
بِدو مو عاشقِ اُگوشتو قُرمَه و کِره یُم | دِ مونِ کُلِ غِذاها مریدِ جوشپِرَه یُم | |
اگِر که غُر مِزِنَه وَر تو یار بی موچ شا | اگِر بهونشه مگیرَه نِگار بی موچ شا | |
اگِر دوغ تو هَست بی خیار بی موچ شا | اگر مِثل مویی بی بِخار بی موچ شا | |
اگِر تو هِم شده یی بی دلار بی موچ شا | اگِر دِ دوشِ تو هَستَن سِوار بی موچ شا | |
اگِر که نشئَه شِدِی یا خُمار بی موچ شا | عیال و بِچَّه دِ دورِت قطار بی موچ شا | |
بِدو مو عاشقِ اُگوشتو قُرمَه و کِره یُم | دِ مونِ کُلِ غِذاها مریدِ جوشپِرَه یُم | |
دِمونِ کوه میَه صِدای دِیرَه و ساز | دِمونِ باغ که پیچیدَه نِغمِه آواز | |
دِ مونِ سوزِنَه خور تُو مِدَه چِطُو گُلناز | دِ مونِ سُفرَه نگا رونِ مُرغُ سینه غاز | |
خوراکِ مِردُم بیچَرَه نونِ خُشکُ پیاز | دِ مونِ سُفره ما دال و اِشکِنِی شیراز | |
نِگا که خِی خود "فیاض" مام شِدِم دِمساز | وَدور هَم شِدِیِم تا چِنی کُنِم آغاز | |
بِدو مو عاشقِ اُگوشتو قُرمَه و کِره یُم | دِ مونِ کُلِ غِذاها مریدِ جوشپِرَه یُم |
منبع: فیاضی، اسفندیار، ای خوش او روزا، چاپ اول: 1385، مشهد : نشر پشنگ
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